चंद्रयान २ मिशन का काउंटडाउन शुरू, इसरो के मिशन की खास बात, इतिहास रचने जा रहा है भारत, रात २:५१ पर लॉन्चिंग, कब फोचेंगा चाँद पर| इसरो अपने मून मिशन चंद्रयान-२ को १५ जुलाई को तड़के २:५१ बजे लॉन्च करेगा| लॉन्चिंग श्रीहरिकोटा के सतीश धवन सेंटर के दूसरे लॉन्च पैड से होगी| इसे भारत के सबसे ताकतवर जीएसएलवी मार्क-३ रॉकेट से लॉन्च किया जाएगा| करीब ५५ दिन में ६ और ७ सितंबर को चांद की सतह पर उतरेगा|
लॉन्चिंग के बाद पहले १७ दिन यह पृथ्वी की कक्षा में ही रहेगा जहां से अगले पांच दिन में इसे चांद की कक्षा में स्थानांतरित किया जाएगा। यह मिशन इसरो के इतिहास के सबसे कठिन मिशनों में से एक है। चंद्रयान का लैंडर छह सितंबर के आसपास चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर मैनजिनस सी और सम्पेलस एन क्रेटरों के बीच उतरेगा। आज तक दुनिया के किसी अन्य देश ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर मिशन नहीं भेजा है।
तिरुमला में शनिवार को भगवान वेंकटेश्वर मंदिर में पूजा-अर्चना करने के बाद इसरो के अध्यक्ष के सिवन ने कहा कि चंद्रयान-२ प्रौद्योगिकी में अगली छलांग है क्योंकि हम चांद के दक्षिणी ध्रुव के समीप सॉफ्ट लैंडिंग कराने का प्रयास कर रहे हैं। सॉफ्ट लैंडिंग बेहद जटिल होती है। लैंडिंग के दौरान हम लगभग १५ मिनट के खतरे का सामना करेंगे। लॉन्चिंग के दौरान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद श्रीहरिकोटा में प्रक्षेपण होते हुए देखेंगे। स्वदेशी तकनीक से निर्मित चंद्रयान-२ में कुल १३ पेलोड हैं। इनमें पांच भारत के, तीन यूरोप, दो अमेरिका और एक बुल्गारिया के हैं। आठ पेलोड ऑर्बिटर में, तीन लैंडर विक्रम में जबकि दो रोवर प्रज्ञान में मौजूद रहेंगे।
चांद की कक्षा में पहुंचने के बाद चंद्रयान चंद्रमा के चारो और गोल-गोल चक्कर लगाते हुए उसकी सतह की ओर बढ़ेगा। चंद्रमा की कक्षा में २७ दिनों तक चक्कर लगाते हुए चंद्रयान उसकी सतह के नजदीक पहुंचेगा। इस दौरान उसकी अधिकतम गति १० किलोमीटर/प्रति सेकंड और न्यूनतम स्पीड १ किलोमीटर/सेकंड रहेगा।
इससे पहले अमेरिका, रूस और चीन अपना रोवर और लैंडर चांद पर उतार चुके हैं| भारत ऐसा करने वाला चौथा देश होगा| लेकिन क्या आपको पता है कि भारत का चंद्रयान-२ मिशन २०१७ में लॉन्च किए गए चीन के चांग-४ लूनर मिशन से कितना सस्ता है. चंद्रयान-२ मिशन की कुल लागत करीब ८५० करोड़ रुपए है, जबकि २०१४ में अमेरिका द्वारा भेजे गए मून मिशन एलडीइइ की कुल लागत १९१९ करोड़ रुपए थी| एलडीइइ में तो सिर्फ ऑर्बिटर था| जबकि, इससे कम में इसरो ऑर्बिटर, लैंडर और रोवर भेजा जा रहा है| चीन के चांग-४ मून मिशन का खर्च था ५७५९ करोड़| वहीं, रूस का १९६६ में भेजा गया मून मिशन अगर आज की तारीख में भेजते तो लागत आती करीब १३७१२ करोड़ रुपए| अंतरिक्ष में उपग्रह भेजने वाले देशों के मुकाबले भारत से उपग्रह भेजना कम खर्चीला है|
यह देश के लिए गौरव का पल होगा। उत्तर प्रदेश के लिए इन पलों की खुशी कुछ और ही होगी। क्योंकि इसरो के इस मून मिशन की लॉन्चिंग रितु करिधाल श्रीवास्तव के सुपरविजन में होगी जो उत्तर प्रदेश के लखनऊ की रहने वाली हैं। रितु कहती हैं, ‘तारों ने मुझे हमेशा अपनी ओर आकर्षित किया। मैं हमेशा सोचा करती थी कि अंतरिक्ष के अंधेरे के उस पार क्या है। विज्ञान मेरे लिए विषय नहीं जुनून था।’ रितु ने इसरो में कई अहम प्रोजेक्ट किए।
Here’s some exclusive, behind-the-scenes footage of the mission’s various components coming together – https://t.co/baOMowvWHa
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Take a glimpse of Chandrayaan-2 Orbiter in clean room. It carries 8 scientific payloads for mapping lunar surface and to study moon’s atmosphere pic.twitter.com/IRYiTqRqcZ— ISRO (@isro) 14 July 2019
Here’s a shot of the Pragyan Rover on the ramp of the Vikram Lander in clean room, prior to its integration with the launch vehicle. #Chandrayaan2 #GSLVMkIII #ISRO pic.twitter.com/sMZ8enBSld
— ISRO (@isro) 14 July 2019
चंद्रयान २ सीधा प्रसारण